कच्चाथीवू द्वीप (kachchatheevu Island) विवाद क्या है

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपे कच्चाथीवू द्वीप (kachchatheevu Island) पर एक लेख के कारण कच्चाथीवू द्वीप विवाद (kachchatheevu Island controversy) सामने आया। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लेख में बताया गया की तमिलनाडु के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ने एक RTI से तमिलनाडु सरकार से कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) पर जवाब माँगा था।
और उस RTI पर तमिलनाडु सरकार ने जवाब दिया कि तत्कालीन भारत सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) को एक बेजान द्वीप बता कर श्रीलंका सरकार को सौंप दिया था

कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) कहा है ?

भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलसंधि (Palk Strait) में कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) है जो कि 285 एकड़ या 1.9 वर्ग किलोमीटर में फैला विस्तृत एक निर्जन स्थान है।

कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) भारत के रामेश्वरम से लगभग 14 समुद्री मील या लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कच्चाथीवू द्वीप क्यों महत्वपूर्ण है?

कच्चाथीवू द्वीप सुरक्षा कि दृस्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। कच्चाथीवू द्वीप भारत की आज़ादी के समय से भारत के साथ था।

कच्चाथीवू द्वीप पर श्रीलंका का क्या दावा था?

श्रीलंका 1960 से ही इस द्वीप पर अपना दावा करता आया है। 1955 में सीलोन की एयर फोर्स ने इस द्वीप पर अभ्यास किया था. परन्तु उससे पहले रॉयल इंडियन नेवी(Royal Indian Navy) यहाँ अभ्यास करती थी।

भारत सरकार ने श्रीलंका के दावे पर क्या कहा था ?

भारत में तमिलनाडु सरकार का कहना था कि कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) राजा रामनाथ की रियासत का हिस्सा थी.
वही पर भारत सरकार का कहना था कि कोई ऐसा दस्तावेज नहीं है जिससे ये साबित हो कि कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) श्रीलंका का हिस्सा था

कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) पर भारत और श्रीलंका में कब समझौता हुआ था?

कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) पर भारत और श्रीलंका के बीच 1960 के दौर से ये मुद्दा शुरू हुआ था.
भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में एक समझौता हुआ और मैरीटाइम सीमा दोनों देशों के बीच तय की गई. तत्कालीन भारत सरकार ने
कच्चाथीवू द्वीप(kachchatheevu Island) को श्रीलंका को सौंप दिया।

कच्चाथीवू द्वीप पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने क्या कहा था?

बीबीसी के हिसाब से 10 मई, 1961 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस मुद्दे को अप्रासंगिक कहकर खारिज कर दिया था, नेहरू ने लिखा था कि उन्हें इस द्वीप पर अपना दावा छोड़ने में कोई झिझक नहीं होगी.

कच्छतीवु द्वीप(kachchatheevu Island) का इतिहास क्या है?

कच्छतीवु (kachchatheevu Island) एक 235 एकड़ का टापू है जो भारत और श्रीलंका के बीच पाक स्ट्रेट(Pak Strait) में पड़ता है. पाक स्ट्रेट का नाम रॉबर्ट पाक के नाम पर रखा गया था जो 1755 से 1763 तक मद्रास प्रांत के गवर्नर थे.

पाक स्ट्रेट को समुद्र नहीं कहा जा सकता. मूंगे की चट्टानों और रेतीली चट्टानों की प्रचूरता के कारण बड़े जहाज़ इस क्षेत्र से नहीं जा सकते.
20वीं सदी की शुरुआत में रामनाथपुरम (रामनाड के राजा) ने यहां एक मंदिर का निर्माण कराया था और थंगाची मठ के एक पुजारी इस मंदिर में पूजा करते थे.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने इस द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया.

हर साल फरवरी-मार्च के महीने में यहां एक हफ़्ते तक प्रार्थना होती है. 1983 में श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान ये प्रार्थना बाधित हो गई थी.

सेंट एंटनी चर्च भी इसी निर्जन द्वीप पर स्थित है. कच्छतीवु बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है.

मालगुज़ारी के रूप में रामनाथपुरम के राजा का जो दस्तावेज़ मिलता है उसके हिसाब-किताब में कच्छतीवु द्वीप(kachchatheevu Island) भी शामिल था. रामनाथपुरम के राजा ने द्वीप के चारों ओर मछली पकड़ने का अधिकार, द्वीप पर चराने का अधिकार और अन्य उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का अधिकार पट्टे पर दिया था.

दोनों देशों के बीच लंबे समय तक कच्छतीवु द्वीप(kachchatheevu Island) को लेकर विवाद रहा और साल 1974 में भारत ने श्रीलंका को द्वीप दे दिया.

साल 1974 से 1976 की अवधि के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने श्रीलंका की तत्कालीन राष्ट्रपति सिरीमावो भंडारनायके के साथ चार सामुद्रिक सीमा समझौते पर दस्तखत किए थे.

इन्हीं समझौते के फलस्वरूप कच्छतीवु द्वीप(kachchatheevu Island) श्रीलंका के अधीन चला गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *